सोमवार, 4 अक्तूबर 2010

संस्कृति और विज्ञानं

संस्कृति और विज्ञानं का अनोखा मिलन होता दिखाई पड़ा कामन वैल्थ खेलों के उद्घाटन समारोह में.विज्ञानं की आधुनिकतम  तकनीक के प्रयोग द्वारा जब पाँच हजार वर्ष से भी अधिक पुरानी भारतीय संस्कृति की झलक दुनिया को दिखाई गयी तो पूरा संसार दांतों तले उंगली दबा कर देखता ही रह गया .एक भारतीय होने के नाते तो मुझे गर्व हुआ ही साथ ही  ऐसा भीलगा जैसे मेरी ही सोच को अमली जामा पहनाया जा रहा है,यानी क़ि लागु किया जा रहा है.जरा एक बार सोच कर देखिये क़ि हम अपनी संस्कृति की भव्यता तो इस मंच से प्रस्तुत कर रहे होते   लेकिन तकनीक का ऐसा सुन्दर प्रयोग करने के योग्य न होते तब भी क्या संसार भर की मीडिया इसी प्रकार  वाह-वाह कर रही होती और इसे अब तक का सर्वश्रेठ आयोजन बता रही होती;;;शायद नहीं बिलकुल भी नहीं.इसी  प्रकार यदि दुसरे नजरिए से देखें क़ि हम सर्वश्रेठ तकनीक का प्रयोग कर दुनिया को आतिशबाजी और अन्य देशों का नाच गाना आदि दिखाते तो भी इस तरह का प्रभाव पैदा करना असंभव ही था.संस्कृति और विज्ञानं अलग-अलग जहाँ समाज में एक तरह के कट्टरवाद को जन्म देते हैं वहीं एक साथ मिल कर एक प्रकार की सकारात्मकता को जन्म देते हैं.जहाँ संस्कृति हमारी जड़ों को मजबूती देती है वहीं विज्ञानं हमें उड़ने के लिए आसमान देता है.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें