शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2011

भारतीय संस्कृति में विज्ञान की पैठ

अगर एक साधारण व्यक्ति की नजर से देखा जाये तो विज्ञानं उस जहीनियत का नाम है जो तर्क के चश्मे से हर चीज को देखता है और प्रमाण मिलने पर ही स्वीकार करता है  .स्वीकार करने के बाद कुछ सिद्धांत या सूत्र प्रतिपादित किये जाते हैं जिन पर विश्वास कर के अगली पीढी आगे बढ़ती है .एक बार कोई तथ्य प्रतिपादित कर दिया जाता है फिर साधारणतः उसी को अटल सत्य मानते हैं जबतक की प्रमाणों सहित कोई उसका खंडन नहीं करता .इस जगह पर आकर हमारी संस्कृति के घोषित रक्षक चूक जाते हैं वो उन पुरानी मान्यताओं में तनिक भी फेर बदल नहीं चाहते जबकि देश काल के अनुरूप अगर सब कुछ बदलता है तो रीति रिवाजों में भी कुछ परिवर्तन होने स्वाभाविक हैं .इस तरह की हठवादिता के कारन वैज्ञानिक मानसिकता के लोग पूरी संस्कृति को ही नकारने पर विवश हो जाते हैं 
                  हमारी संस्कृति तत्कालीन तथ्यों पर आधारित है ,इस विषय पर चर्चा जरी रखेंगे. .

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