शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2011

भारतीय संस्कृति में विज्ञान की पैठ

भारतीय संस्कृति में विज्ञान की गहरी पैठ है ये मेरा व्यक्तिगत मत है .हालाँकि विज्ञान का मतलब ही अधिकतर पुराने विश्वासों से दूर रहने में लगाया जाता है अपने पूर्वजों से जो विश्वास और आस्थाएँ हमें मिली हैं उन्हें अन्धविश्वास मान लेना क्या पूरी तरह से ठीक है .किसी भी परंपरा को अगर आँखें मूंद कर निभाया जाता रहता है तो उसमे कुछ खामियां अवश्य आ जाती हैं लेकिन कुछ तो अज्ञान औरकुछ हठवादिता के कारण हम उन परम्पराओं को बिना किसी बदलाव के निभाते चले जा रहे हैं ,ये एक प्रकार से लकीर पीटना जैसा हुआ ,और पुरानी पीढी की इसी सोच के कारण नई पीढी अपनी परम्पराओं से न तो जुड़ पा रही है और न ही इन परम्पराओं में उसे सार्थकता नजर आ रही है.
     प्राचीन भारत के विद्वानों या ऋषि मुनियों द्वारा अनुभूत किए गए सिद्धांतों को आज विज्ञान भी किसी नकिसी रूप में मान्यता दे रहा है .आगे हम लोग विस्तार से इस विषय पर चर्चा में रहेंगे.

1 टिप्पणी: