शनिवार, 28 अगस्त 2010

सर्प दंश

सर्प दंश से हर वर्ष बरसात के दिनों  में  लोगों  की  मौत  के मामले  सामने आते  हैं ,ग्रामीण  क्षेत्रों में ऐसी अनहोनी  अधिक ही सुनाई देती है, क्योंकि वहाँ अंधविश्वास के चलते पीड़ित व्यक्ति को तुरंत चिकित्सा नहीं उपलब्ध करवाई जाती. जब तक थोड़ी भी जान रहती है, झाड़ फूंक करवाई जाती है. स्थिति हाथ से बाहर निकलने पर डॉक्टर के यहाँ भागते हैं. जिसका कोई फायदा नही होता. इन हालातों से बचने के लिए, हमें ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को जागरूक करना होगा. शिक्षा का प्रसार और उसके माध्यम से विज्ञान की जानकारी ऐसी घटनाओं को बहुत हद तक रोक सकती है.
हमारे देश की संस्कृति में विज्ञान के बहुत से पहलू बहुत हद तक खुद ही शामिल हैं. सावन के महीने में होने वाली नाग पंचमी की पूजा इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है. इस पूजा में घरों में दीवार को गोबर से लीप कर उस पर नाग देवता बनाकर पूजा की जाती है. इस बहाने एक ओर तो घरों की साफ सफाई हो जाती है और छोटे मोटे कीड़े मकोड़े या सर्प जैसे विषैले जीव भी भाग जाते हैं. दूसरी ओर परिवार के लोगों के मन में कहीं न कहीं ये बात भी बैठ जाती है कि बरसात में सर्प निकल सकते हैं और हमें इनसे सचेत रहना होगा.
इस प्रकार बड़े ही सरल ढंग से छोटे बच्चों आदि को सर्प के भय से सचेत कर दिया जाता है.